EVERYTHING ABOUT HINDI POETRY

Everything about Hindi poetry

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वहीं मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

देखि तुही छींके पर भाजन ऊंचे धरि लटकायो ।

वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, 

वाए क़िस्मत पाँव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं 

साथी ये रे, हैं सब “तेरे”, इसी लिए, अनजान समझ रहा क्या पायेंगे ये तेरे ही बल त्राण ।

कृष्णा सोबती का जीवन परिचय

मेघ, तुम्‍हारी झड़ी पड़ने से भपारा छोड़ती हुई भूमि की उत्कट गन्‍ध के स्‍पर्श से जो सुरभित है, अपनी सूँड़ों के नथुनों में सुहावनी ध्‍वनि करते हुए हाथी जिसका पान करते हैं, और जंगली गूलर जिसके कारण गदरा गए हैं, ऐसा शीतल वायु देवगिरि जाने के इच्‍छुक तुमको मन्‍द-मन्‍द थपकियाँ देकर प्रेरित करेगा।

phuulo.n kii tarah lab khol kabhii KHushbuu kii zabaa.n me.n bol kabhii alfaaz parakhtaa rahtaa hai aavaaz hamaarii tol kabhii anmol nahii.

मुंशी प्रेमचंद्र के लोकप्रिय उपन्यास

दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। 

फूलों की तरह लब खोल कभी ख़ुशबू की ज़बाँ में बोल कभी अल्फ़ाज़ परखता रहता है आवाज़ हमारी तोल कभी अनमोल नहीं लेकिन फिर भी पूछ तो मुफ़्त का मोल Hindi poetry कभी खिड़की में कटी हैं सब रातें कुछ चौरस थीं कुछ गोल कभी ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह हो जाता है डाँवा-डोल कभी

कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला,

जो अपने सामने हुई वारदात की गवाही देने से नहीं हिचकिचाता–

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